Hindua Suraj-Maharana Pratap हिंदुआ सूरज- महाराणा प्रताप


Hindua Suraj-Maharana Pratap हिंदुआ सूरज- महाराणा प्रताप

वो राणा था
महाराणा था
जिसमे तेज
हजार सूर्य सा
ताकत सहस्त्र गज सम
गति, बिजली की
फुर्ती सिंह सी
मुख में औज
वाणी में तेज
सीना विशाल
फ़ौलादी बाजू
विशाल कर
दहाड़ ऐसी
धरा कांपती थर -थर
उनकी ऊंचाई के आगे तो
अकबर भी बौना था
हिंदुआ सूरज
वीर योद्धा
राणा के लिए
हर एक तुर्क खिलौना था
राणा उदय का लाल
माता जयवन्ता का,
टुकड़ा जिगर का
बचपन का कीका
काल के कपाल पे
करता धमाल था
मेवाड़ का लाल
शूरवीर महाराणा
प्रताप कमाल था
अश्व चेतक भी
उनका तगड़ा था
शत्रुओं को नीचे घसीट
अपने टापों से रगड़ा था
हार नहीं मानी
अंत तक चेतक ने
निभाई अपनी
स्वामी भक्ति थी
वो अश्व नहीं
राणा की दिव्य शक्ति थी
प्रताप का सामना भी
नहीं कर पाया अकबर
प्रताप के ही डर से
तुर्कों की जितनी
ख्याती न थी
उस से कहीँ चौड़ी
राणा की छाती थी
समर भूमि में शत्रु का
पड़ा प्रताप से पाला था
दमकता चेहरा, फहरती पताका
चमकती ढाल, तलवार
मुख्य अस्त्र उनका भाला था
कितने तुर्कों को 
उस भाले से
चीर डाला था
चेतक रा असवार 
खूब चला रण में जिनका
भाला और तलवार
अनेकों शत्रु कट गए
डर कर भागे कई हजार
हल्दीघाटी समर में चारों और
मच गई चीख-पुकार
महाराणा के शौर्य से
तुर्क सिंघासन डोला था
हारकर भी शत्रु
राणा की जय-जय बोला था
उनका अदम्य साहस देख
अकबर को भी ये भान था
राजपूती शान, एकलिंग दीवान,
शिरोमणि महाराणा प्रताप ही
असल महान था
डिगा न सका कोई
राणा के ईमान को
सदा ऊँचा रखा
धरा के मान को
घाँस की रोटी तक खा लेने दी
माटी के ख़ातिर अपनी संतान को
झुकने न दिया जिसने
देश के भाल को
बारम्बार नमन देश के
ऐसे महान लाल को।


                                   - सौरभ गोस्वामी









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