Main Gadha Hun - मैं गधा हूँ



मैं गधा हूँ 

मैं गधा हूँ
मैं गधा हूँ
मार खाकर 
बोझे से लदा हूँ।
चरता कम
मरता ज्यादा
शाबाशी कम
सुनता ज्यादा
न सुख लात का
न राजपाट का
ज्यों धोबी का कुत्ता
न घर का न घाट का
हम कितने ही 
समझदार क्यों न हो 
कहलाएंगे गधे ही 
खूब काम 
करा के मालिक 
फिर भी हम से 
हमेशा रूठेंगे ही 
कभी स्वतंत्र न रह पाएंगे 
ये नियति है हमारी 
बंधेंगे हम खूंटे से ही 
इंसानों ने हमें 
सबसे ज्यादा 
खराब किया है 
अपने बुद्धूपन को 
हमारे नाम से 
ढांक दिया है 
अब कहाँ 
मिट्टी में लोटना 
न कोई संगी साथी 
न किसी से बोलना 
अकेले बंधे 
बस रोते रहते है 
खुद की ज़िन्दगी 
और मालिक का 
बोझ ढोते रहते है 
कल ही आया है 
मालिक के नया घोड़ा 
खूब तकड़ा, लम्बा चौड़ा 
चने - मेवे सारा दिन खाता है 
करने को काम नहीं कुछ
दिन भर ऐश फ़रमाता है 
चहेता मालिक के बच्चो का 
बस उनका दिल भरमाता है 
समाज मे शान दिखाती
मालिक की सवारी है
बेचारे गधे से 
किस की यारी है
उसके लिए तो 
बोझा ही भारी है
समाज में ऐसे 
प्रदर्शनीय घोड़ों का ही
बोल-बाला है
बेचारा गधा तो 
अथक काम कर के भी
आज भी बुद्धू
भोला-भाला है
काम का प्रदर्शन
काम पर ऐसा भारी है
घोड़े और गधे में भेदभाव
आज भी बदस्तूर जारी है।

                           
                                - सौरभ गोस्वामी



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