पापा की परी-बेटियाँ-Papa Ki Pari-Betiyaan

पापा की परी-बेटियाँ-Papa Ki Pari-Betiyaan


पापा की परी - बेटियाँ 

कौन हैं ये
कहाँ से ये आती हैं
इतना प्यार 
कहाँ से लाकर
सब पे लुटा पाती हैं 
दुनियाँ की सारी नसीहतें 
इन्ही में भरी है पड़ी 
उम्र छोटी पर ये 
दादी अम्मा से हैं बड़ी
गलत बात पर 
नसीहत देने को  
सबके पीछे रहती 
छड़ी लेके खड़ी 
बंद भाग्य की 
खुली पेटियाँ होती है 
भगवान की बनाई 
सर्वश्रेष्ठ कृतियाँ होती है 
दुनियाँ में सबसे निराली 
केवल बेटियाँ होती है 
कहते है बेटे तो 
भाग्य से मिलते है 
पर जब सौ भाग्य 
मिलते है तो घर-आँगन 
बेटियों रुपी फूल खिलते है 
पिता के हर आँसू पोंछने 
ये खड़ी हो जाती है 
न जाने क्यूँ बेटियाँ 
इतनी जल्दी बड़ी 
हो जाती हैं 
ये वो बेल है जो 
थोड़े से प्यार में ही 
हो जाती हरी है 
घर में सब की लाडली 
पापा की तो ये परी हैं 
इनके चहकने से 
घर चहकता 
इनके महकने से 
घर महकता 
घर आँगन की 
ये फुलवारी होती 
इन्ही से घर, घर होता 
नहीं तो, सूना मकान 
चार दीवारी होता 
बाबुल के घर की 
सोन चिड़िया होती हैं 
खेल-खिलौनें वाली 
नन्ही गुड़िया होती हैं 
ये घर की होती 
आन, बान,शान हैं 
हर दिल अज़ीज़ 
घरवालों की जान हैं 
इनके रहते घर में कभी 
अँधेरा नहीं होता 
ये चिराग़ों का
काम करती है 
बाती की तरह 
खुद जलकर 
रोशन घर को 
सुबह शाम करती हैं 
सुख के तो होंगे 
कई संगी साथी 
बेटियाँ तो दुखों में 
हरदम साथ देती 
हिम्मत नही हारती हैं 
अपने परिवार को हर 
संकट से उबारती है 
सम्पति में बेशक़ 
कोई बड़ा हिस्सा 
नहीं चाहती है 
बस पिता के 
दिल का हिस्सा 
हमेशा रहना चाहती हैं 
ससुराल में भी ये 
अपने संस्कारों का 
मान रखती हैं 
अपने घर-परिवार का  
बेहद ध्यान रखती हैं 
ससुराल में रहते भी 
इनकी आँखे सदा 
पीहर को निहारती हैं 
फिर भी खुद में 
सामंजस्य बिठा 
दोनों घरों को 
बख़ूबी संभालती हैं 
बेटा तो आज 
बेटियां कल भी 
संवारती है 
बेटियाँ पराई नहीं 
ये तो पर्याय होती है 
पिता की परछाईं की 
पिता की तकलीफ 
बिन बोले 
समझ जाती है 
जब तक दूसरों को 
समझ आये 
वो अपना काम 
कर जाती है 
सोने से भी खरी 
करीने सी ढली 
इतनी महान 
बड़ो से भी बड़ी 
होती हैं बेटियाँ 
निष्ठुर से निष्ठुर को भी 
प्यार आ ही जाता है 
जब वो नन्ही बच्ची को 
कस के गले लगाता है 
उनकी मुस्कान में 
प्रभु की छाँया है 
दौलतमंद है वो पिता 
जिसके घर यह माया है 
बस एक यह अफ़सोस 
हमेशा दिल को सालता है 
फिर क्यों बेटियों को 
मनुष्य गर्भ में ही 
मार डालता है 
उनको जीने दो 
उनको भी जीने का हक़ है 
बेटियां आफ़त नहीं 
हमारा गोल्डन लक है 
भगवान भी उसी घर में 
बेटियों को नियत करता 
जो उन्हें पालने की 
हैसियत हो रखता 
जिनके लड़की हो 
वो खुश हो जाएं 
प्रभु ने आपको 
इस के लिए चुना है 
वो बच्ची साथ 
देता कई गुना है 
जन्म पर बेटियों के 
कभी न रोक लगाएं 
बेटियाँ पैदा होने पर 
घर-घर उत्सव मनाएं। 

                     
                                                 
                             - सौरभ गोस्वामी 


 


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