सदा शिव भज मन- Sada Shiv Bhaj Mana
सदा शिव भज मनः
शिव, शम्भू महेश्वर
शशिशेखर, विश्वेशर
भाल विशाल, चर्म छाल
जटाधर, गल मुण्डमाल
गंगाधर, कृत्तिवासा
कर दुःख, संकट नाशा
हिरण्यरेता, त्रिनेत्रा
कमण्डल, त्रिशूलधारी
अनीश्वर, वृष वाहन सवारी
त्रिपुण्डधारी, ललाटाक्ष
वामदेव, विरूपाक्ष
काल के भी काल
शूलपाणी, त्रिपुरांतक
वृषभारूढ़ महाकाल
नीललोहित शुद्धविग्रह
प्रभु भस्मोद्धूलितविग्रह
श्रीकण्ठ, भक्तवत्सल
सुरसूदन, जगवंदन
नाथों के भी नाथ
विष्णुवल्लभ अंबिकानाथ
डम डम डम डमरू बाजे
तीन लोक में डंका बाजे
कर एकलिंगी पूजा
श्री राम लंका राजे
हर पल, घर-घर
नभ में गूंजे
देवों के देव
महादेव हर हर
नीलकंठ, रामेश्वर
जय जय हे शिव!
सदाशिव भोला शंकर
कंठ सर्पमाल, नागों के ईसर
शिव नागराज, नागेश्वर
अत्र तू तत्र तू
यत्र भी, तू ही सर्वत्र
तेरे अधीन सारी सिद्धि
यंत्र, मंत्र और तंत्र
शिव बिन शक्ति अधूरी
बिन शक्ति शिवमूरत न पूरी
शक्ति से शिव मिलें
शिव से शक्ति सारी
अर्द्ध रूप नर नारी
शिव रूप संसारी
पार्वती, शिवपटरानी
शिवाप्रिय बाबा बर्फानी
अघोर, मशानी, अविनाशी
भूतनाथ, भूतेश्वर, कैलाशी
चंड तू प्रचंड तू
सती का घमंड तू
आरम्भ तू अंत तू
भोला भाला संत तू
सुखों की चाबी तू
दुःखों का अंत भी तू
अजर, अमर, शाश्वत
जीवन से अंत तक
तुझ से शुरू
भाल विशाल, चर्म छाल
जटाधर, गल मुण्डमाल
गंगाधर, कृत्तिवासा
कर दुःख, संकट नाशा
हिरण्यरेता, त्रिनेत्रा
कमण्डल, त्रिशूलधारी
अनीश्वर, वृष वाहन सवारी
त्रिपुण्डधारी, ललाटाक्ष
वामदेव, विरूपाक्ष
काल के भी काल
शूलपाणी, त्रिपुरांतक
वृषभारूढ़ महाकाल
नीललोहित शुद्धविग्रह
प्रभु भस्मोद्धूलितविग्रह
श्रीकण्ठ, भक्तवत्सल
सुरसूदन, जगवंदन
नाथों के भी नाथ
विष्णुवल्लभ अंबिकानाथ
डम डम डम डमरू बाजे
तीन लोक में डंका बाजे
कर एकलिंगी पूजा
श्री राम लंका राजे
हर पल, घर-घर
नभ में गूंजे
देवों के देव
महादेव हर हर
नीलकंठ, रामेश्वर
जय जय हे शिव!
सदाशिव भोला शंकर
कंठ सर्पमाल, नागों के ईसर
शिव नागराज, नागेश्वर
अत्र तू तत्र तू
यत्र भी, तू ही सर्वत्र
तेरे अधीन सारी सिद्धि
यंत्र, मंत्र और तंत्र
शिव बिन शक्ति अधूरी
बिन शक्ति शिवमूरत न पूरी
शक्ति से शिव मिलें
शिव से शक्ति सारी
अर्द्ध रूप नर नारी
शिव रूप संसारी
पार्वती, शिवपटरानी
शिवाप्रिय बाबा बर्फानी
अघोर, मशानी, अविनाशी
भूतनाथ, भूतेश्वर, कैलाशी
चंड तू प्रचंड तू
सती का घमंड तू
आरम्भ तू अंत तू
भोला भाला संत तू
सुखों की चाबी तू
दुःखों का अंत भी तू
अजर, अमर, शाश्वत
जीवन से अंत तक
तुझ से शुरू
तुझ में ख़तम
जीवन की कहानी
मन मे तेरा ध्यान ले
पुष्प,बेल, धतूरा, भांग से
लिंगी, पंचामृत,जल धार दे
तुझ से ये फरियाद रहे
सारे संकटों का नाश कर
सर पर मेरे, बाबा
सदा तेरा हाथ रहे
तेरा साथ सदा रहे बना
सदाशिव भज मनः
जो नित्य द्वादस ज्योतिर्लिंग
ध्यान कर, सेवा कर जाता
काम उसके होते सफल
मन में डर नहीं समाता
जीवन की कहानी
मन मे तेरा ध्यान ले
पुष्प,बेल, धतूरा, भांग से
लिंगी, पंचामृत,जल धार दे
तुझ से ये फरियाद रहे
सारे संकटों का नाश कर
सर पर मेरे, बाबा
सदा तेरा हाथ रहे
तेरा साथ सदा रहे बना
सदाशिव भज मनः
जो नित्य द्वादस ज्योतिर्लिंग
ध्यान कर, सेवा कर जाता
काम उसके होते सफल
मन में डर नहीं समाता
कितना भी घातक हो शत्रु
हाथ जोड़,चरणों में आता
अज, अनंत, मृत्युंजय
हे त्रिलोकी! तेरी
बारम्बार जय-जय।
- सौरभ गोस्वामी
अज, अनंत, मृत्युंजय
हे त्रिलोकी! तेरी
बारम्बार जय-जय।
- सौरभ गोस्वामी
शब्दों के अर्थ :
- शिव: कल्याण स्वरूप
- शम्भू : आनंद स्वरूप वाले
- महेश्वर: माया के अधीश्वर
- शशिशेखर: सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
- विश्वेशर: अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
- भालविशाल: जिसका मस्तक विशाल हो
- चर्मछाल: चर्म की छाल
- जटाधर: जटा धरने वाला
- गल मुण्डमाल: गले में मुंड की माला
- गंगाधर: गंगा जी को धारण करने वाले
- कृत्तिवासा: गजचर्म पहनने वाले
- हिरण्यरेता: स्वर्ण तेज वाले
- त्रिनेत्रा: तीन नेत्र वाले
- कमण्डलधारी: जो कमण्डल रखता हो
- त्रिशूलधारी: त्रिशूल को धरने वाला
- अनीश्वर: जो स्वयं ही सबके स्वामी है
- वृष वाहन सवारी: जिनका वाहन बैल है
- त्रिपुण्डधारी: त्रिपुण्ड लगाने वाले
- ललाटाक्ष: जिनके ललाट पर आँख हो
- वामदेव: अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
- विरूपाक्ष: विचित्र (तीन नेत्र) आंख वाले
- शूलपाणी: जिनके हाथों में त्रिशूल हो
- त्रिपुरांतक: त्रिपुरासुर को मारने वाले
- वृषभारूढ़: बैल की सवारी वाले
- महाकाल: कालों का काल
- नीललोहित: नीले और लाल रंग वाले
- शुद्धविग्रह: शुद्धमूर्ति वाले
- भस्मोद्धूलितविग्रह: सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
- श्रीकण्ठ: सुंदर कण्ठ वाले
- भक्तवत्सल:भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
- सुरसूदन: अंधक दैत्य को मारने वाले
- जगवंदन: जिनका पूरा विश्व वंदन करता है
- विष्णुवल्लभ: भगवान विष्णु के अति प्रिय
- अंबिकानाथ: देवी भगवती के पति
- नीलकंठ: नीले कंठ वाले
- रामेश्वर: श्री राम के ईश्वर
- शंकर: सबका कल्याण करने वाले
- सर्प कंठ: गले में सर्प विराजमान है
- नागों के ईसर: नागों के ईश्वर
- शिव नागराज: शिव जी जो नागों के राजा है
- शिव नागेश्वर: शिवजी जो नागों के ईश्वर है
- शिवपटरानी: शिव जी की रानी/पत्नी
- शिवाप्रिय: पार्वती के प्रिय
- बाबा बर्फानी: बर्फ में रहने वाले
- मशानी: शमशान में वास करने वाला
- अविनाशी: जिनका विनाश नहीं किया जा सकता
- भूतनाथ: भूतों के नाथ
- भूतेश्वर: भूतों के ईश्वर
- कैलाशी: कैलाश के निवासी
- भोला: भोला स्वरूप
- अजर: जो कभी वृद्ध नहीं होते
- अमर: जो कभी मर नहीं सकता
- शाश्वत: नित्य रहने वाले
- एकलिंगी: एक लिंग स्वरुप
- महादेव: देवों के देव
- हर: पापों व तापों को हरने वाले
- सदाशिव: नित्य कल्याण रूप वाल
- द्वादस ज्योतिर्लिंग: बारह ज्योतिर्लिङ्ग
- अज: जो अजन्मा हो अर्थात जन्म रहित
- अनंत: देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित
- मृत्युंजय: मृत्यु को जीतने वाले
- त्रिलोकी: तीनों लोकों के स्वामी
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