Pyar Ke Ab Mayne Badal Gaye Hai-प्यार के अब मायने बदल गये है
प्यार के अब मायने बदल गए है
जिंदगी एक करवट
पड़ी-पड़ी सो रही थी
मन में विरक्ति सी हो रही थी
जीवन में उमंग न तरंग थी
ज़िन्दगी बद से बत्तर
बदरंग, बेरंग हो रही थी
दिल मे बेहद खालीपन था
सोचा भर लिया जाये
कोई प्यार कर ले हमसे
या किसी से प्यार
कर लिया जाए
जो करती है पूरी दुनियाँ
वो काम कर लिया जाये
ऐसा नही कि
कोई हमे मिला नही
जीवन में प्यार का फूल खिला नही
बेशक़ मिला, बराबर खिला
जीवन के दो पल
उसी के साथ बिताए है
उसके साथ लगती
मुझको जन्नत थी
मानो ख़ुदा से चाही
कोई मन्नत थी
पक्के नेक इरादे थे
जीने-मरने के वादे थे
वादे सब झूठ निकले
पुष्पहीन ठूंठ निकले
फिर ऐसा कुछ हुआ
जोर का झटका
भूकंप सा था
मजबूरी थी या
मन था उसका
जो भी उसने सिला दिया
पौधा प्यार का पल में
जड़ से पूरा हिला दिया
माफ़ किया उसको
उससे कोई गिला नही
भूली बातों का जिक्र नही
न चिंता, कोई फिक्र नही
ऐसा नही कि
उसे भूल गया हूँ
ना मुँह ग़ुब्बारे सा लेकर
फूल गया हूँ
प्यार कल भी था
आज भी है और
कल भी शाश्वत रहेगा
बस समय के साथ
आईने बदल गये है
प्यार करने के अब
मजबूरी थी या
मन था उसका
जो भी उसने सिला दिया
पौधा प्यार का पल में
जड़ से पूरा हिला दिया
माफ़ किया उसको
उससे कोई गिला नही
भूली बातों का जिक्र नही
न चिंता, कोई फिक्र नही
ऐसा नही कि
उसे भूल गया हूँ
ना मुँह ग़ुब्बारे सा लेकर
फूल गया हूँ
प्यार कल भी था
आज भी है और
कल भी शाश्वत रहेगा
बस समय के साथ
आईने बदल गये है
प्यार करने के अब
मायने बदल गये है
पहले भौतिक, दैहिक
अब निश्चल, पावन,
पारलौकिक है
अब तो उसके लिये
यही दिल से मन्नत है
जहाँ हो, जैसी भी हो
हर हाल में उन्नत हो
वो भी सुखी रहे
हम भी आबाद रहे
उसकी खुशी में
ख़ुश हो लेते दूर से
उसे देखने के बाद
जैसे चकोर खुश होता
देख के अपना चाँद
शुद्ध प्रेम में
यही भावना आती
ज्यों मीरा के कृष्ण, दीपक-बाती
प्यार खोने-रोने का काम नही
प्यार पाने का अंजाम नही
ये तो निस्वार्थ भाव, हर हाल
किसी को अपनाने का नाम है
बाकी के दो पल
प्रभु भक्ति में प्यार ढूंढ
कर्म-बंधन काट रहा हूँ
ना किसी विशेष को
अब छाँट रहा हूँ
प्यार में किसी का
एकछत्र, एकाधिकार नही
प्यार है सबके लिये
प्रभु भक्ति, मात-पिता, बीबी-बच्चों
बंधु-भगिनी, यार-प्यार और परिवार
पहले भौतिक, दैहिक
अब निश्चल, पावन,
पारलौकिक है
अब तो उसके लिये
यही दिल से मन्नत है
जहाँ हो, जैसी भी हो
हर हाल में उन्नत हो
वो भी सुखी रहे
हम भी आबाद रहे
उसकी खुशी में
ख़ुश हो लेते दूर से
उसे देखने के बाद
जैसे चकोर खुश होता
देख के अपना चाँद
शुद्ध प्रेम में
यही भावना आती
ज्यों मीरा के कृष्ण, दीपक-बाती
प्यार खोने-रोने का काम नही
प्यार पाने का अंजाम नही
ये तो निस्वार्थ भाव, हर हाल
किसी को अपनाने का नाम है
बाकी के दो पल
प्रभु भक्ति में प्यार ढूंढ
कर्म-बंधन काट रहा हूँ
ना किसी विशेष को
अब छाँट रहा हूँ
प्यार में किसी का
एकछत्र, एकाधिकार नही
प्यार है सबके लिये
प्रभु भक्ति, मात-पिता, बीबी-बच्चों
बंधु-भगिनी, यार-प्यार और परिवार
सभी मे रम, जम और बँट कर
निष्काम भाव से प्यार बाँट रहा हूँ।
निष्काम भाव से प्यार बाँट रहा हूँ।
- सौरभ गोस्वामी
Post a Comment