Pahle Kaun Bolta Hai - पहले कौन बोलता है



Pahle Kaun Bolta Hai - पहले कौन बोलता है

Pahle Kaun Bolta Hai - पहले कौन बोलता है

नफ़रत का बीज
दिलों में ज़हर
ना जाने दुनियाँ में
कौन घोलता है
रूठेंगें दोनों कब तक
रूह में प्यार दोनों के
आज भी डोलता है
देखना ये अहम है 
अपने अहं से हटकर
पहले कौन बोलता है
जज्बाते दिल कौन खोलता है
एक पल को दिल 
थोड़ा डरता भी है 
इतने साल हो गए 
क्या प्यार, 
प्यार करता भी है 
उतनी ही शिद्दत से 
कोई आज मरता भी है 
देर भले, दगा ना हो 
उस के दिल में 
थोड़ी सी भी जगह न हो 
या सोचते होंगे छोड़ो 
कौन टंटा पालेगा 
आँख भीच कबूतर बन 
गले बिल्ली के
कौन घंटा डालेगा 
गांठे गलतफेमियों की 
इतनी जल्दी कैसे कटेगी  
वर्षों की गर्द जमा है 
धीरे-धीरे ही हटेगी 
अब तक ज़िंदगी 
यादों से कटी है 
कुछ दिन और 
ऐसे ही कटेगी 
नहीं रहने वाला हमेशा 
काली रात का अँधेरा 
एक दिन तो आशा की 
उज्ज्वल पौ फ़टेगी 
यक़ीनन सदा ज़िन्दगी  
ऐसी नहीं रहेगी 
जल्द ही होगी 
प्यार की बारिश 
पानी में गर्द बहेगी 
चाँद का होगा दीदार 
बादलो की घटा छटेगी 
प्यार की गर्मी से 
रिश्तों में जमी बर्फ़ 
पिघल-२ कर हटेगी  
ज्यादा देर नहीं 
रह सकते दूर 
गर प्यार अंदर हो 
प्रेम के हिलोरे लेता 
दिल एक समुन्दर हो। 

                                  - सौरभ गोस्वामी

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