मेरे सपनों का भारत - Mere Sapno Ka Bharat


मेरे सपनों का भारत Mere Sapno Ka Bharat, मेरे सपनों के भारत पर कविता
 


मेरे सपनों का भारत 


उत्तम से अतिउत्तम
अतिउत्तम से सर्वोत्तम
निकले आशा का उजाला
चारो और मिटे तम
देश में निखरे हरियाली
टूटे, छूटे रूढ़िवादी बंधन
विस्मृत हो पुलाव ख़याली
देश में न रहे कोई बवाल
न रहे कोई सवाली
चँहु और फैले उन्नति
अवनति की कोई
जगह बाकि न हो
न किसी के चेहरे पर
चिंता, फिक्र, परेशानी हो
हर चेहरे पर ख़ुशी खिले
हर चेहरा नूरानी हो
हर तबके तक राशन पँहुचे
घर - घर दुःख दर्द पूछने
प्रशासन पँहुचे
खेतों में हरियाली हो
पीली सरसों की बाली हो
बदहाली का नामो निशान न हो
दुखी कोई इंसान न हो
फसल का दाम मिले खरा
न आत्महत्या हो, न रहे
भविष्य के प्रति किसान डरा
मजदूरों को काम की
उचित मजदूरी मिले
मालिक और मजदूरों की भी 
दूरी मिटे
देश की रक्षार्थ
सीमा पर रहने वाला
सैनिक भी राजी हो
देश के अंदर शांति
न पत्थरबाज़ी हो
सबको एक सामान 
रिसोर्स मिले
जनसँख्या नियंत्रित
कम आबादी हो
जीडीपी का आंकड़ा भी 
जबरदस्त हो
गरीबों को नसीब
सर पर छत हो
महिलाओं की भी शिक्षा 
शत-प्रतिशत हो,
देश की हर बेटी की सुरक्षा 
सुनिश्चित हो,
देश के हर युवा के पास 
काम -काज हो
न रहे कोई भूखा, 
सबके पास अनाज हो
मेरे सपनों के भारत में 
ऐसा राम राज्य हो
जहाँ सामान कानून, 
सुनिश्चित कर्तव्यों के
साथ-साथ पूरी आजादी हो
ऐसा मेरे सपनो का भारत हो
ऐसा मेरे सपनो का भारत हो

                              
                         -सौरभ गोस्वामी 


3 टिप्‍पणियां:

Blogger द्वारा संचालित.