मेरी कविता - कॉपीराइट जो ना था ! Meri Kavita - Copywrite Jo Na Tha!

 

मेरी कविता - कॉपीराइट जो ना था ! Meri Kavita - Copywriter Jo Na Tha!
मेरी कविता - कॉपीराइट जो ना था ! Meri Kavita - Copywriter Jo Na Tha!

मेरी कविता - कॉपीराइट जो ना था !


मेरी कविता थी,
मेरी न हो सकी
पूरा करना चाहा,
पर अधूरी ही रही
पूरा करने के लिए
शब्द नही मिल रहे थे
अंतर्मन में द्वंद चल रहा था,
मैं निशब्द...............
अभी तो दो लाइन ही
लिखी थी जिंदगी की
फिर ऐसी क्या
मज़बूरी हो गई
मेरी कविता मेरी न रही ,
किसी और की हो गई
शीर्षक मेरा था,
आगे की पंक्तियाँ
कोई और लिख रहा था
मैं मूक दर्शक सा
क्या कर सकता,
कॉपी राइट जो न था
मुझे था जिस पर विश्वास
बनेगी कविता मेरी ख़ास
वो कविता किसी
और की हो गई
संग बिताई बातें
पुराने दौर हो गई
मेरी भावनाएं छली गई
मेरी सोच से परे
मेरी कविता चली गई
रात से भोर हो गईं
मेरी कविता कब
दूसरी ओर हो गई
पता ही न चला
अब तो केवल
यादों के जाल बुनूँगा
नही अब और
किसी को चुनूँगा
संघर्ष की जीवन में
कमीं तो न थी
ज़िन्दगी तू इतनी
बेवफ़ा तो ना थी
सितमगर ने इतनी तो
वफ़ा की थी
जीने को खुला आसमां
मरने को दो गज
जमीन तो दी थी
बीत गया जो दौर था
ये ज़िन्दगी है जनाब
जिंदादिली से सबक सीखूंगा
करूंगा कोशिश फिर
अच्छा लिखने की
अब और कुछ अच्छा लिखूंगा।

                                           

                                        - सौरभ गोस्वामी


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