माँ एक शब्द नही, पूरी कहानी है Maa Ek Shabd Nahi Puri Kahani Hai
माँ एक शब्द नही, पूरी कहानी है
माँ एक शब्द नही
पूरी कहानी है
झोंक दिया
जिसने सारा जीवन
चेहरे पर न ही शिकन
न ही सर पर बल जैसी
कोई निशानी
परेशानी है
माँ सागर,
नदियाँ का
निर्मल बहता पानी
पूज्यनीय, अतुल्नीय
ना दूसरा कोई
इनका सानी
माँ ममता, क्षमता
समता, स्नेह,
दयालू प्रकृति,
समरस बरसाती नेह
माँ, सांस, आस
एहसास है
भगवान की
बनाई मूरत,
सबसे ख़ास है
ममता की गोद में
रख सर
जब भी मैं सो लेता
अपनी सभी
परेशानियों को
तेरा स्पर्श पा, माँ,
मै खो देता
माँ के क़दमों में ज़न्नत,
कुदरत का करिश्मा है
इस पूरे कायनात में
सबसे प्यारी माँ है।
जब हँसती तो
क्या समां होता,
मुरझाये चेहरे भी
खिल उठते
सबका गुबार हवा होता।
गुस्से में आती
तो रो देती
हमारे गुनाहों को
सहज ही
मानो अपने
आंसुओं से
धो देती।
ऐसी ही होती हैं
मेरी माँ, सबकी माँ
खुदा ने
अपने रूप को
ऐसे ही नही
माँ के रूप में जन्मा
इसी लिए अपने
देश के जनमानस में
गौ, भारत, नारी को
माता का दर्जा है
भारत और उसकी
सनातन संस्कृति की
यूँ ही नहीं पूरे
विश्व में चर्चा है।
इतना तो अब
बनता अपना फ़र्ज है
चुकाना अपनी
सभी माताओं के
दूध का कर्ज है।
देश का हर वासी
वफ़ादारी से करे
अपने हिस्से का करम
तभी अपने देश
दुनियाँ में गूंजेगा
वन्दे जगतगुरु
वन्दे मातरम
वन्दे SSS मातरम।
- सौरभ गोस्वामी
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